About the Book
इस किताब को लिखने का मकसद रूढ़िवादी सोच को मिटाना और समाज में एक अच्छा बदलाव लाना हैं, तथा लोगो को यह बताना की सपने देखें, उन्हें पूरा करें, जिंदगी का कोई लक्ष्य होना बहुत जरुरी है। कुछ ऐसा कर दिखाए की मरने के बाद भी नाम जीवित रहें। एक अहम लक्ष्य माँ के हुनर को पहचान दिलाना भी हैं। जिसका असर सब रिश्तों पर होता है, जो दिनभर बिना वेतन की नौकरी करके भी थकती नहीं, ना किसी से कोई उम्मीद करती है। ऐसी माँ को सम्मान मिले और उसके इस अद्वितीय हुनर को पहचान मिले। इसके बाद यह भी दर्शाया गया है की कैसे बिना मात्रा के भी शब्द बोलते है,बस अहसास होना चाहिए। यह पुस्तक “उन सपनो को समर्पित की जाती है जो हम खुली आँखों से देखते है और उन्हें पूरा करना ही एक मकसद होता है। जिंदगी का कोई लक्ष्य हो और उसे पाने का जज्बा भी”बस इन्ही जिंदगी के छोटे छोटे रहस्यों के साथ सफ़र रेशमी सपनों का शुरू होता है।
About Author
बचपन से पढ़ने लिखने में काफी रूचि होने की वजह से लेखिका का कलम से शुरू से ही एक अटूट रिश्ता रहा है। जो अध्यापिका के रूप में और मजबूत हो गया। मन्दसौर शहर से 2010 में अपनी बी.ए. की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ ही दिनों में शादी हो गई। कलम से इनका नाता शिक्षिका के रूप में उभरकर आया। कुछ ही दिनों बाद 21 वर्ष की उम्र में जिंदगी के उतार चढ़ावो और अनुभवों ने हाथ में कलम थमा दी। और अंदर का लेखक जागा वीर रस,उत्साह रस जैसी कई रचनाए हुई। जिन्होंने लोगो में जोश जूनून और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। अच्छी लेखिका और शिक्षिका होने के साथ” रैन”एक कुशल गृहिणी भी है। हमेशा आगे बढ़ना कुछ नया करना और लोगो से अलग और खुली सोच रखना इसी खासियत ने हमेशा दुसरो से अलग बनाया है। इसीके चलते कई कलात्मक क्षेत्रो में भी हमेशा निपुण होने के कारण निवास स्थान गांव कचनारा में कई पुरुस्कारो से सम्मानित किया गया। लेखिका की यह किताब लिखने का मक़सद लोगो को ये बतलाना की “हार मान लेने से ही हार होती है, उससे पहले नही” सपने बहुत खूबसूरत जागीर होते है, तो सपने देखो और उन्हें पूरा करने में जान लगा दो। सपनो भरे इस सफ़र में कवियत्री वर्षा गुप्ता को भी कई मुश्किलो का सामना करना पड़ा कई बार मंजिल के काफी करीब होकर भी पाने में असफल रही पर कभी हिम्मत नही हारी और आज ये मुकाम हासिल कर ही लिया। इनका लक्ष्य माँ के हुनर को पहचान दिलाना और रूढ़िवादी सोच को मिटाना भी है। ताकि लोग जिंदगी के सफर में आगे बड़े सपने बुने और उन्हें पूरा करे इसी कामना के साथ इस पुस्तक का शुभांरभ हुआ है। हर परिस्थिति में आगे बढ़ना और अपने आत्मसम्मान की रक्षा करते हुए सही मार्ग चुनना ये इनकी खासी विशेषता है। कवियत्री कहती है की हमेशा से पापा की सोच ने उन्हें प्रेरित किया है और आगे बढ़ाया है। इनके संघर्ष को देखते हुए उनके पिता को भी उन पर गर्व होगा। आज के बाद हर पिता को बेटी के पिता होने का गर्व हो इसी कामना के साथ “रैन” चाहती है की लोग उनकीये पुस्तक पढ़े ही नही उसे समझे और जिंदगी के इस सफ़र में कभी हिम्मत न हारे। आगामी वर्षो में कुछ और काव्य संग्रह की पुस्तके लिखना चाहती है और एक उपन्यास भी लिखे ऐसी इनकी चाह है। लेखिका का अरमान है की लोग उन्हें और उनकी इस पुस्तक को सराहें। ताकि उनका ये सपना जैसे उन्हें हिंदी साहित्य के करीब लाया है। वैसे ही सब साहित्य से जुड़े इसे अपनाए। और इस रेश्मी सपनो के सफ़र को और खूबसूरत बनाए।